ek sayri

Tuesday, March 22, 2011

होली स्पेशल

होली स्पेशल




मेरी तरफ़ से सभी मित्रो, को दिल से गले मिल कर लाल,गुलाबी, हरी, बसन्ती र॑ग
भरी शुभ-कामनाये

खेतों में सरसों के फूलने के साथ एक पीली मखमली चादर कालीन की तरह फैल जाती है। यह पहली सूचना है। वसंत के जल्दी ही आ पहुंचने की। हाड़ कंपाने वाले जाडे का जाना लोगो को उमंग से भर देता है जिसका क्लाइमैक्स देखने को मिलता है रंगो के त्योहार होली मे

भारत के बाहर बसने वाले हिन्दुस्तानियो के दिल
आज भी होली के दिन रंगों से मचल जाते है
भारत में वह आज नहीं पर जहाँ है वहां अपने सिने में
एक नन्हा भारत बनाकर, वो भी यारो होली मनाते है

एक जमाना था जब होली गाने वाले झुंड बनाकर घर-घर बधाइयां देने पहुंचते थे। उनका स्वागत गुझियो ओर ठंडाई के गिलासो से किया जाता था। आज पश्चिमी आधुनिकीकरण वाले फैशन के मारे शहरी हिंदूस्तानियो को लगता है कि ठांडाई बिना भांग के बनती ही नही और यह सिर्फ गवारो के नशे की चीज है। असली ठांडाई का हमारी पंरम्परा मे बडा प्रतीकात्मक महत्व था। इसको पीकर इस बात की घोषणा की जाती थी कि लो जाडा खत्म हुआ गर्मी जल्दी ही आ पहुंचेगी

होली आई, होली आई
रंग बिरंगी होली आई।
धूम मचाती होली आई,
घर घर में खुशियॉ लाई।
बच्चो की यह टोली आई,
हाथ में पिचकारी आई,
रंग गुलाल उड़ाती आई,
होली आई, होली आई।

जहां दुसरे त्योहारो मनाना या न मनाना आदमी की मर्जी पर था, वही होली कोई चाहे या न चाहे उसे खेलनी ही होती थी। यदि किसी ने डरकर घर मे छिपने की कोशिश की तो दरवाजा पीट पीट कर कई बार तो दरवाजा तोड़ कर होली खेलने के लिए निकाला जाता था। फिर एक साथ सब लोग एक व्यक्ति पर टूट पड ते थे। जिस तरह लोग दशहरे पर जाने के लिए विशेष कपडे दस दिन पहले से ही तैयार करा लेते थे उसी प्रकार होली के लिए भी फटे-पुराने कपडे पहले से छांट लिए जाते है ऐसे कपडे देखकर बर्तन वाला भी जिन्हे देखकर दूर से हांथ जोड ले।




होली मे अपना पराया कोई नही देखा जाता। बल्कि शिकार का इंतजार किया जाता है। शिकार का मतलब दूसरे मोहल्ले से गुजरने वाले व्यक्ति। शिकार मिलते ही लोग उस पर झपटते। वह हाथ जोडकर अपनी मजबूरी बताता लेकिन कोई उसके उपर रहम न करता और उसे पकडकर काले सफेद रेग से रंग दिया जाता रंग ऐसे होते है कि एक हफ्ते तक भी आपका साथ न छोडे
यह ही होती है होली की धमाचोकडी हर तरफ रंग ही रंग होता है

मेरी पिछली पोस्ट मे भी आपने होली के गैम देखे थे और होली के शुभ अवसर पर दो बहतरीन गैम लाया हु। आप भी खेले ये गेम और खो जाए रंगो के त्यौहार होली मे।
इस गैम मे आपको अपने की बोर्ड से स्पेस का बटन दबा कर सामने वाले पर पिचकारी से रंग छोडना है और उसके गुब्बारो से बचना है।



बचपन मे अपनी छत पर खडे होकर बहुत से लोगो को गुब्बारे मारे है मेने। गुब्बारे मार कर मै और मेरे दोस्त छुप जाते थे ताकि कोई हमे देख न ले । इस गैम मे भी आपको बस छत पर खडे होकर नीचे आते जाते लोगो को गुब्बारे मारने है और छूपने की भी जरूरत नही है बेखोफ होकर गुब्बारे मारो।



होली की कहानी के बारे में बहुत कम लोग जानते है अगर आप भी उनमे शामिल हो तो निचे दिए गये फोटो पर क्लीक करे और उसे बड़ा कर के पढ़े आपको होली की पूरी कहानी के बारे में पता चल जाएगी कि होली क्यों बनाई जाती है


रंगो के त्यौहार होली के लिए एक से बढ़कर एक गाने है। जो खास होली के मोके पर ही बजाए जाते है। मै अपनी पसंद का बस एक ही गाना दे रहा हु बाकि होली के ओर बहतरीन गाने सुनने के लिए आपको यहां क्लिक करना पडेगा


Funscrape.Com

Hori Khele Taghuveera - Baghban


सभी लोगो को होली का इंतजार रहता है वो इसलिए ताकि वो सब पर रंग लगा सके इंतजार तो मुझे भी रहता है लेकिन इसलिए नहीं की मुझे किसी पर रंग लगाना है बल्कि इसलिए की होली वाले दिन जंगलो में घुमने का मजा ही कुछ और है मैं और मेरे भाई बंधू और कुछ दोस्त होली रंगों से नहीं बनाते बल्कि यहाँ चिला के जंगलो में शांत जगह पर जाकर मंदिर के दर्शन करने के बाद खाना बना कर खाने के बाद और शतरंज खेलते हुवे बनाते है हम सब पिछले 5-6 साल से होली ऐसे ही बनाते है और इससे जुडी फोटो मैं अपने ऑरकुट और फेसबुक वाली आईडी पर डालता हु सबके अपने अपने तरीके होते है होली बनाने के मेरा भी अपना तरीका है होली बनाने का यानि बिना रंगों की होली
आज कि पोस्ट में बस इतना ही मिलते है होली के बाद आप सब लोगो को एक बार फिर से होली कि बहुत बहुत शुभकामनाये 

रंग बिरंगी होली, खुशियां लेकर आयी
आपके लिए भर-भर रंगो की झोली
मनाओ सुख, शान्ति व प्रेम की होली
हॅसी-खुशी से पल बिताओ झूलो सुख- आनन्द के झूले में
आपकी हर मुराद हो पूरी जीवन के इस सुन्दर मेले में।

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